शौक था कभी पढ़ने का उन्हें जिन्हे पढ़ कर सभी छोड़ दिया करते थे
आज छोड़ रहे है वो मेहताब उन्हें
जो छोड़ी चीज को खुशी से जोड़ दिया करते थे
दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था
दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था|
तुम्हारे घर का सफ़र इस क़दर सख्त न था।
इतने मसरूफ़ थे हम जाने के तैयारी में,
खड़े थे तुम और तुम्हें देखने का वक्त न था।
– गोपालदास नीरज
जिसको आना ही नहीं है
इंतजार भी उसका जिसे
आना ही नहीं है….
प्यार भी उस से …
जिसको कभी पाना ही नहीं है..!!😊
तुझे गुस्सा दिलाना
तुझे गुस्सा दिलाना भी एक साजिश हैं !!!
तेरा रुठ कर मुझ पर यूँ हक जताना प्यार सा लगता हैं !!!
उसे उड़ने का शौक था
उसे उड़ने का शौक था
और हमें उसके प्यार की कैद पसंद थी,
वो शौक पूरा करने उड़ गयी जो
आखिरी सांस तक साथ देने को रजामंद थी…!!!
जिस्म से होने वाली मोहब्बत
जिस्म से होने वाली मोहब्बत का इज़हार आसान होता है
रूह से हुई मोहब्बत समझने में ज़िन्दगी गुजर जाती है |
सफ़र की धूप में
सफ़र की धूप में चेहरे सुनहरे कर लिए हम ने
वो अंदेशे थे रंग आँखों के गहरे कर लिए हम ने