जब भी किसी गरीब को हँसते हुए देखे
तो समझ लेना चाहिये कि
खुशियों का ताल्लुक दौलत से नहीं है
जब भी किसी गरीब को हँसते हुए देखे
तो समझ लेना चाहिये कि
खुशियों का ताल्लुक दौलत से नहीं है
किसी की पहली पसंद से ले कर
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किसी के आखरी ख़्वाईश तक का सफर है ज़िन्दगी…
दिल और ज़ुबान का साफ़ व्यक्ति….
रिश्तों के बाज़ार में….
अक्सर अकेला खड़ा रह जाता है…!!!
“नाराज़गी” भी एक खूबसूरत रिश्ता है,
जिससे होती हैं वह व्यक्ति दिल और दिमाग, दोनों में रहता है
कचरे में पड़ी रोटियाँ रोज यह कहती है की पेट भरते ही इंसान अपनी औकात भुल जाता हैं
“सुलझा हुआ इंसान वह है जो अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेता है, और उन निर्णयों के परिणाम के लिए के किसी दूसरें को दोष नहीं देता”
“व्यक्तित्व” की भी
अपनी वाणी होती है
जो “कलम”‘ या “जीभ”
के इस्तेमाल के बिना भी,
लोगों के “अंर्तमन” को छू जाती है..!!!
गिरते परिंदों में भी फर्क देखती है दुनिया,
संभालती उसी को है जो मजबूत होता है….
जहां तक रिश्तों की बात है तो लोगो का आधा वक्त अनजान लोगों को इम्प्रेस करने में निकल जाता है और आधा अपनो को इग्नोर करने में ।