जिन्दगी स्टेशन की तरह
हो गई है…
लोग तो बहुत है लेकिन
.
.
.
अपना कोई नही…
जिन्दगी स्टेशन की तरह
हो गई है…
लोग तो बहुत है लेकिन
.
.
.
अपना कोई नही…
आप जिससे सबसे ज़्यादा प्रेम करते हैं,
.
.
.
.
अंत मे वही आपको प्रेम न करना सिखाता है…
Kabhi kabhi kitni baatein
Karni hoti hai,
Lekin koi sunne wala hi
Nahi hota.
घर में पति की जूठन खाने वाली
स्त्रियां, चीखती है मन ही मन में
जब होता है अहसास उसे,
बिस्तर के जूठन होने का…!!
वें सहम कर हट जाती है पीछे
औऱ झोंक देती है मन को,
रसोई के चूल्हें में..!!
रहने दो “उधार” इक मुलाकात
यूं ही..!
.
.
.
.
सुना है “उधार” वालों को “लोग”
“भुलाया” नहीं करते..!!