ये होली के मजे कुछ खास नहीं
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रंगना था जिसे वो पास नहीं 🥲
#होली
चेहरे को आज तक भी तेरा इंतज़ार है
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हमने किसी और को गुलाल मलने नहीं दिया
#होली
एक आख़िरी मुलाक़ात को
बुलाया था उसने
मैं नहीं गया,
यूँ न जाकर
मैंने बचाये रखी
एक आख़िरी मुलाक़ात
~ पंकज विश्वजीत
लिपट लिपट कर कह रही हैं, दिसम्बर की ये आखिरी शामें,
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अलविदा कहने से पहले एक बार गले तो लगा लो…!
ए नसीब ज़रा एक बात तो बता…
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तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है!
तुझे मुफ़्त में जो मिल गये हम
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तू क़दर ना करें ये तेरा हक़ बनता है…
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