इंसान सब कुछ कॉपी कर सकता है
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लेकिन किस्मत और नसीब नही
मेरी ख़ूबीयो पर तो…..
यहाँ सब खामोश रहते हैं ..
चर्चा मेरे बुराई पे हो तो…
गूँगे भी बोल पड़ते हैं …
कुछ बातों के मतलब है और कुछ मतलब की बातें,
जब से फर्क जाना जिंदगी आसान बहुत हो गयी
शहर बसाकर, अब सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं…..
बड़े अजीब हैं लोग हाथ में कुल्हाड़ी लिए, छाँव ढूँढते हैं…..
रख लो आईने हज़ार तसल्ली के लिए……!!
पर सच के लिए तो,आँखें ही मिलानी प़डेगी….!!!
आशियाने बनें भी
तो कहाँ जनाब…
जमीनें महँगी हो चली हैं
और
दिल में लोग जगह नहीं देते..