दिन छोटे #दिसंबर की लंबी रात होगी,
सर्दिया चल रही हैा सिर्फ #चाय की बात होगी।।
दिन छोटे #दिसंबर की लंबी रात होगी,
सर्दिया चल रही हैा सिर्फ #चाय की बात होगी।।
मेरे हाथ अक्सर एक हाथ तलाशा करते है,
तुझसे गुजरे है, तेरा साथ तलाशा करते है
गालियां, वो सड़के, इश्क़ में थी सनी – सनी ,
ओस की बूंदों में वही रात तलाशा करते है
© नेहा नूपुर
मैं तुम्हारा नाम पुकारूँ
तुम महक-महक जाओ
मैं बनाऊं एक कविता
तुम कलाम की स्याही बन जाओ
–नेहा नूपुर
जब थामा था हाथ तेरा पहली बार…
.
.
.
लगा जैसे किसी ने सर्दी में ठिठुरते हाथों में चाय कि प्याली दे दी हो
💓💓💓💓
मैंने कहा बहुत प्यार आता है तुम पर
.
.
.
.
वो मुस्कुरा कर बोले और तुम्हे आता ही क्या है।
तुझे मुफ़्त में जो मिल गये हम
.
.
.
तू क़दर ना करें ये तेरा हक़ बनता है…
.
अगले जन्म मैं तुम्हें
प्रेयसी नहीं
भिक्षुणी बनकर मिलूँगी
एकदम खाली हाथ
मैंने मुट्ठी भर-भर
तुम्हें जो सर्वस्व दिया है
क्या तब तुम अंजुरी भर
डालोगे मेरी झोली में?
-समृद्धि
सुना है इश्क़ जब गहरा हो जाए तो आशिकों के चेहरे मिलने लगते हैं।
ये तो बताओ..
तुम्हारे गालों पर भी भंवर पड़ते हैं क्या?
चेहरा खूबसूरत हैं तो आशिक़ों की कमी नहीं
.
.
.
.
तलाश उनकी हैं जो झुर्रियों को भी दिल से चूमे