जैसे बरस पड़ती है …..
मेरी आंखे तुझे याद करके….
क्या कभी …..
तेरी बाहे नहीं तरसती …..
मुझे गले लगाने के लिए
जैसे बरस पड़ती है …..
मेरी आंखे तुझे याद करके….
क्या कभी …..
तेरी बाहे नहीं तरसती …..
मुझे गले लगाने के लिए
मीठा झूठ ‘ बोलने से अच्छा है ‘ कड़वा सच ‘ बोला जाए
इससे आपको ‘ सच्चे दुश्मन ‘ जरूर मिलेंगे लेकिन ‘ झूठे दोस्त ‘ नहीं