मुझ को बीमार करेगी, तेरी आदत इक दिन
और फिर तुझ से भी अच्छा नहीं हो पाऊँगा
-Rahul Jha
मुझ को बीमार करेगी, तेरी आदत इक दिन
और फिर तुझ से भी अच्छा नहीं हो पाऊँगा
-Rahul Jha
छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था
पर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्ही से सीखा
~ज़ेहरा निगाह
ख़ुदा के फ़ज़्ल से मुझ को सभी कुछ मिल गया लेकिन
मुझे इस बज़्म में उन की कमी तकलीफ़ देती है
~सहर महमूद
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
~अहमद फ़राज़
ये कश्मकश है ज़िंदगी की
कि कैसे बसर करें ……
ख्वाहिशे दफ़न करे
या चादर बड़ी करें ….
सफ़र की धूप में चेहरे सुनहरे कर लिए हम ने
वो अंदेशे थे रंग आँखों के गहरे कर लिए हम ने