सुनो…
तुम्हारी याद भी इस दिसम्बर में,
गुनगुनी धुप सा मजा देती है…
नवम्बर से बचे हैं तो दिसम्बर ने मार डाला
तुम्हारे बाद ग़ुज़रे हैं भला कैसे हमारे दिन,
नवम्बर से बचे हैं तो दिसम्बर ने मार डाला…
ऐ दिसम्बर तू सब कुछ ले आया है सिवाय उसके
ये सर्द हवाएँ,बिखरे पत्ते और तन्हाई,
ऐ दिसम्बर तू सब कुछ ले आया है सिवाय उसके…
तू दिसम्बर की तरह है
ये कैसा ख्याल है तेरा,
जो मेरा हाल बदल देता है,
तू दिसम्बर की तरह है,
जो पूरा साल बदल देता है..!
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए
~फ़ना निज़ामी कानपुरी
जिंदगी नाव की मानिंद यूँ ही बस चलती रहे
जिंदगी नाव की मानिंद यूँ ही बस चलती रहे
मुहब्बत की आग प्यासे दिलों में जलती रहे
लहरें तो सदा #आग़ोश में लेने को मचलती है
कुछ दूर से ही नज़रों से ये नज़र मिलती रहे
याद कर लेना मुझे तुम कोई भी जब पास न हो
याद कर लेना मुझे तुम कोई भी जब पास न हो
चले आएंगे इक आवाज़ में भले हम ख़ास न हों
राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है
राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है.
मौत कल आती है आज आ जाए डरता कौन है.
तेरे लश्कर के मुक़ाबिल में अकेला हूँ मगर
फैसला मैदान में होगा के मरता कौन है….
– राहत इंदौरी
न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है
सफ़र में मुश्किलें आएँ तो जुर्रत और बढ़ती है
कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है
मेरी कमज़ोरियों पर जब कोई तनक़ीद करता है
वो दुशमन क्यों न हो उस से मुहव्बत और बढ़ती है
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक़सर
न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है
~ नवाज़ देवबन्दी