समस्या ये भी गंभीर है
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जिसे तूँ सिर्फ अपनी समझता है,
वो पता नही कितनों की हीर है…
समस्या ये भी गंभीर है
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जिसे तूँ सिर्फ अपनी समझता है,
वो पता नही कितनों की हीर है…
” कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते,
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एक बार खैरियत पूछ के तो देखिये !! “
सुनो,
ये जो तुम रुठ के मुझसे
हर बार चले जाते हो…
दफ़न सारे अहसास बताओ
कहां कर आते हो ?
समझता ही नहीं वो शख़्स,
अल्फ़ाज़ की गहराई…
हमने हर वो लफ़्ज़ कह दिया,
जिस में मोहब्बत है..!!
वो बिक चुके थे
जब खरीदने के काबिल हुए हम ……
ज़माने गुजर गए …
हमे अमीर होते होते……!!