नहीं मिला मुझे कोई तुम जैसा आज तलक,
पर ये सितम अलग है कि मिले तुम भी नहीं..!
नहीं मिला मुझे कोई तुम जैसा आज तलक,
पर ये सितम अलग है कि मिले तुम भी नहीं..!
“कभी हमसे भी पूछ लिया करो हाल-ए-दिल,
कभी हम भी तो कह सकें दुआ है आपकी”
फूंक मारकर हम दिए को बुझा सकते है
पर अगरबत्ती को नहीं,
क्योंकि जो महकता है उसे कौन बुझा सकता है…
और जो जलता है वह खुद बुझ जाता है।
सलीका नक़ाब का भी
तुमने अजब कर रखा है।
जो आँखे हैं क़ातिल,
उन्हीं को खुला छोड़ रखा है।।
हिचकियाँ आना तो चाह रही हैं, पर ‘हिच-किचा’ रही हैं…
कौन शरमा रहा है आज यूँ हमें फुरसत में याद कर के…
मीठा झूठ ‘ बोलने से अच्छा है ‘ कड़वा सच ‘ बोला जाए
इससे आपको ‘ सच्चे दुश्मन ‘ जरूर मिलेंगे लेकिन ‘ झूठे दोस्त ‘ नहीं
मासूमियत का इससे पवित्र
प्रमाण कहीं देखा है ????
एक बच्चे को
उसकी माँ मार रही थी
और बचाने के लिये बच्चा
माँ को ही पुकार रहा था…
उम्र और ओहदे में,कौन कितना बड़ा है फर्क नहीं पड़ता,लहजे में कौन कितना झुकता है फर्क ये पड़ता है