पुरानी होली का थोड़ा से गुलाल रखा है
.
.
तुम्हारा इश्क़ मैंने यू संभाल रखा है
#Holi
पुरानी होली का थोड़ा से गुलाल रखा है
.
.
तुम्हारा इश्क़ मैंने यू संभाल रखा है
#Holi
चेहरे को आज तक भी तेरा इंतज़ार है
.
.
.
हमने किसी और को गुलाल मलने नहीं दिया
#होली
हर रंग फिका है
प्रेम रंग के आगे
#होली का रंग भी तब ही मनभावन लागे
जब साथ में हो वो
.
जिससे जुड़े हो मोह के धागे
❤😘
इन्तज़ार मत करो
जो कहना है कह डालो
क्योंकि हो सकता है
फिर कहने का कोई अर्थ न रह जाय
~ केदारनाथ सिंह
पिताजी गणित हैं,
कठिन, समझ में नहीं आते
लेकिन सत्य भी वही हैं।
और माँ?
माँ, प्रेम है, साहित्य है।
माँ, एक कहानी सुनाती है,
जोकि काल्पनिक है।
जिससे हम सीखते हैं सत्य
और समझने लगते हैं गणित…
~देवेंद्र पाण्डेय(@SankrityaDev)
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो,आँखें मूंदकर उसके पीछे न चलिए।
यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आँख,नाक,कान,मुँह, मस्तिष्क आदि क्यों देता..??
कानंद~स्वामी विवे
जली को “आग” कहते है, बुझी को राख कहते है जिस बात को सुनकर चप्पल हाथ में आ जाये उसे
“मन की बात” कहते है