इन्तज़ार मत करो
जो कहना है कह डालो
क्योंकि हो सकता है
फिर कहने का कोई अर्थ न रह जाय
~ केदारनाथ सिंह
इन्तज़ार मत करो
जो कहना है कह डालो
क्योंकि हो सकता है
फिर कहने का कोई अर्थ न रह जाय
~ केदारनाथ सिंह
पिताजी गणित हैं,
कठिन, समझ में नहीं आते
लेकिन सत्य भी वही हैं।
और माँ?
माँ, प्रेम है, साहित्य है।
माँ, एक कहानी सुनाती है,
जोकि काल्पनिक है।
जिससे हम सीखते हैं सत्य
और समझने लगते हैं गणित…
~देवेंद्र पाण्डेय(@SankrityaDev)
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो,आँखें मूंदकर उसके पीछे न चलिए।
यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आँख,नाक,कान,मुँह, मस्तिष्क आदि क्यों देता..??
कानंद~स्वामी विवे
जली को “आग” कहते है, बुझी को राख कहते है जिस बात को सुनकर चप्पल हाथ में आ जाये उसे
“मन की बात” कहते है
कड़वा सच
गरीब आदमी जमीन पर बैठ जाये
तो वो जगह उसकी औकात कहलाती है
और अगर कोई धनवान बैठ जाये तो ये उसका बड़प्पन कहलाता है!🤔
शुभ रात्रि🙏🏻