शुरुआत में कितने भी कसमें वादें कर लो ,
अंत
” पापा नहीं मानेंगे बाबू ”
से होगा।
शुरुआत में कितने भी कसमें वादें कर लो ,
अंत
” पापा नहीं मानेंगे बाबू ”
से होगा।
कितने ही दिल तोड़ती है ये “फरवरी” …
यूंही नही बनाने वाले ने
इसके दिन घटाये होंगे..!
कड़वा सच
गरीब आदमी जमीन पर बैठ जाये
तो वो जगह उसकी औकात कहलाती है
और अगर कोई धनवान बैठ जाये तो ये उसका बड़प्पन कहलाता है!🤔
शुभ रात्रि🙏🏻
आप की सीधी-सादी बातों में चीनी के एक दाने भर की भी मिठास नहीं तो क्या हुआ साहिब!!
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हम भी फीकी चाय शौक से पीते हैं!!
एक आख़िरी मुलाक़ात को
बुलाया था उसने
मैं नहीं गया,
यूँ न जाकर
मैंने बचाये रखी
एक आख़िरी मुलाक़ात
~ पंकज विश्वजीत
After Life Ends your Relationship
Be mohammad shami
Not kabir singh

ए नसीब ज़रा एक बात तो बता…
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तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है!