थोडा इंतजार कर ए दिल,
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उसे भी पता चल जाएगा की उसने खोया क्या है…
हर रोज़ खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की,
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आज पता चला की जिंदगी धीरे धीरे ख़त्म क्यूँ हो रही है.
झुका हूँ तो कभी सिर्फ अपनों के लिए
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और लोग इसे मेरी मज़बूरी समझ बैठे
कौन कहता है की दिल..
सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है,
तेरी ख़ामोशी भी कभी कभी..
आँखें नम कर देती है..
तुम्हारा होना बिल्कुल रविवार की सुबह जैसा है,
कुछ सूझता नहीं है….
बस अच्छा लगता है !!!