Category: <span>बज्म</span>

Category: बज्म

अक्टूबर बिछड़ने का महीना है

अक्टूबर बिछड़ने का महीना है, शाख़ से पत्ते अलग हुए जा रहे हैं, हवाओं के दिल भी भारी हो रखे हैं, पर अक्टूबर उम्मीद का महीना भी है कि नंगी टहनियां फ़िर से हरी होंगी, सब ख़त्म हो जाने के बाद भी कुछ होना बचा रहेगा..

और बचा रहेगा मेरा तुमसे प्रेम करना दुनिया के किसी कोने में !

मैं रुई पर एक कविता लिखूँगा

मैं रुई पर एक
कविता लिखूँगा
और उसे तेल में डुबाकर
दिया में सजाऊँगा

फिर संसार के सबसे ऊंचे
पर्वत पर जाकर
मैं उस दीये को जलाऊँगा

कविता में कुछ हो न हो
उजाला जरूर होना चाहिए
बस इतना उजाला
जो अंधेरा हर सके।

~ देवेंद्र

स्पर्श बता देता है नीयत कैसी है

घमण्ड बता देता है कितना पैसा है ।
#मर्यादा बता देती है परिवार कैसा है ।।

बोली बता देती है इंसान कैसा है ।
बहस बता देती है ज्ञान कैसा है ।।

नजरें बता देती है सूरत कैसी है ।
स्पर्श बता देता है नीयत कैसी है ।।

#बज़्म