चाह नही मैं ब्रांडेड होकर अपने जीवन पर इतराऊँ
चाह नही मैं विश्व सुंदरी के , पग में पहना जाऊँ
चाह नही दूल्हे के पग में रह, साली को ललचाऊँ
चाह नही धनीको के चरणों मे , हे हरि मैं डाला जाऊँ
ए सी में रहूँ कालीन पर घूमूं , और अपने भाग्य पर इठलाऊँ
मुझे निकाल कर पैरों से ,
उस मुँह पर तुम देना फेंक
जिस मुँह से भी निकल रहे हो , देशद्रोह के शब्द अनेक