श्वासें तो इश्वर ने दीं, पर तन तो माँ का दिया हुआ है।
प्रक्रति क़ी इस गज़ब कृति की, माँ ही तो आधार शिला है।।
ईश्वर ने दी भले चेतना, सिंचन माँ ने स्वयं किया है।
कोमल तन को बज्र बनाकर, माँ ने ही तो खड़ा किया है।।
बे-शक ज्ञान मिला गुरुओं से, पर माँ ने आधार दिया है।
कोरे तन-मन कच्चे घट को, माँ ने ही आकार दिया है।।
बे-शक आज शिखर पर शोभित, नींव तो माँ का रखा हुआ है।
शोहरत का यह भव्य महल, उस माँ का ही आशीष फला है।।
Happy Mother’s day.