“पेड़ अगर जो मोह लगातेफल डालियों पर सड़ जाते।” -शैलेन्द्र कुमार शर्मा
अधुरी है ख्वाहिश, सिमट रही है जनवरी,चौखट पर खड़ी है, इश्क़ वाली फरवरी…❣
दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं . . . तुम्हारी मोहब्बत में जीडीपी होता जा…
ये दिसम्बर भी बीतेगा पिछले साल की तरह, . . . इसे भी तुम्हारी तरह रुकने की आदत नहीं।
आंखों के नीचे काले घेरे बताते है . . . . होंठो पर जो मुस्कान है झूठी है 💔
एक बार इश्क़ हो जाने दो हमको भी... . . . फिर शायरियां चेप चेप कर कलेजा ना फाड़ दिया…
बेज़ान आईने का दखल ग़वाऱा नही मुझे मैं केवल खुद को तेरी आँखों में देखना चाहती हुँ 💞😘 💞 👉💞…
हम उसको सुनाते रहे गम की कहानियां। जो शख्स कान से ही नही दिल से भी बहरा था
ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन , . . . दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा…