“पेड़ अगर जो मोह लगातेफल डालियों पर सड़ जाते।” -शैलेन्द्र कुमार शर्मा
अधुरी है ख्वाहिश, सिमट रही है जनवरी,चौखट पर खड़ी है, इश्क़ वाली फरवरी…❣
दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं . . . तुम्हारी मोहब्बत में जीडीपी होता जा…
तुम इश्क करो और दर्द न हो, . . . मतलब दिस्मबर की रात हो और सर्द न हो...!!!
फिर से तेरी यादों का मेरे दिल में बबंडर है...!! . . . . वही मौसम, वही सर्दी, वही दिलकश…
हज़ार इश्क़ करो लेकिन इतना ध्यान रहे.... . . . . के तुमको पहली मोहब्बत की बददुआ ना लगे...
लिपट लिपट कर कह रही हैं, दिसम्बर की ये आखिरी शामें, . . . अलविदा कहने से पहले एक बार…
ये दिसम्बर भी बीतेगा पिछले साल की तरह, . . . इसे भी तुम्हारी तरह रुकने की आदत नहीं।
एक बार इश्क़ हो जाने दो हमको भी... . . . फिर शायरियां चेप चेप कर कलेजा ना फाड़ दिया…