दिन छोटे #दिसंबर की लंबी रात होगी, सर्दिया चल रही हैा सिर्फ #चाय की बात होगी।। चाय और इश्क
किसी को गुलाब देना इश्क़ नहीं, . .उसे गुलाब की तरह रखना भी इश्क़ है
मेरे हाथ अक्सर एक हाथ तलाशा करते है, तुझसे गुजरे है, तेरा साथ तलाशा करते है गालियां, वो सड़के, इश्क़…
मैं तुम्हारा नाम पुकारूँ तुम महक-महक जाओ मैं बनाऊं एक कविता तुम कलाम की स्याही बन जाओ -नेहा नूपुर
जब थामा था हाथ तेरा पहली बार... . . . लगा जैसे किसी ने सर्दी में ठिठुरते हाथों में चाय…
मैंने कहा बहुत प्यार आता है तुम पर . . . . वो मुस्कुरा कर बोले और तुम्हे आता ही…
तुझे मुफ़्त में जो मिल गये हम . . . तू क़दर ना करें ये तेरा हक़ बनता है… .
अगले जन्म मैं तुम्हें प्रेयसी नहीं भिक्षुणी बनकर मिलूँगी एकदम खाली हाथ मैंने मुट्ठी भर-भर तुम्हें जो सर्वस्व दिया है…
सुना है इश्क़ जब गहरा हो जाए तो आशिकों के चेहरे मिलने लगते हैं। ये तो बताओ.. तुम्हारे गालों पर…
चेहरा खूबसूरत हैं तो आशिक़ों की कमी नहीं . . . . तलाश उनकी हैं जो झुर्रियों को भी दिल…