kataksh

मै एक मज़दूर हूँ

"मै एक मज़दूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।" #प्रेमचंद

4 years ago

दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं

दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं . . . तुम्हारी मोहब्बत में जीडीपी होता जा…

4 years ago

खून बिना छना पी जाते हैं

कुछ लोग जो पानी छानकर पीते हैं, . . . खून बिना छना पी जाते हैं ~ हरिशंकर परसाई

4 years ago

ईमानदार बाप

लड़कों को, ईमानदार बाप . . निकम्मा लगता है! -हरिशंकर परसाई

4 years ago

पुरुष का रोना

पुरुष रोता नहीं है पर जब वो रोता है, रोम-रोम से रोता है। . . उसकी व्यथा पत्थर में दरार…

4 years ago

धर्म शोषण या भाग्यवाद

धर्म चालाक आदमी का शोषण का हथियार है और भोले आदमी के लिए भाग्यवाद की अफीम . धर्म पर कब्ज़ा…

4 years ago

मूर्खता से पैदा हुआ आत्मविश्वास

मूर्खता से पैदा हुआ आत्मविश्वास . . . सबसे बड़ा होता है! - हरिशंकर परसाई

4 years ago

भगवान पांच लड़कियों के बाद

भगवान पांच लड़कियों के बाद . . लड़का देकर अपने होने का सबूत देता रहता है। ~ हरिशंकर परसाई

4 years ago

बेइज्जती

बेइज्जती में अगर दूसरे को भी शामिल कर लो . . तो आधी इज्जत बच जाती है! - हरिशंकर परसाई

4 years ago

श्रम का पसीने

जिन्हें पसीना सिर्फ़ गर्मी और भय से आता है, . . वे श्रम के पसीने से बहुत डरते हैं! -…

4 years ago