"मै एक मज़दूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।" #प्रेमचंद
दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं . . . तुम्हारी मोहब्बत में जीडीपी होता जा…
कुछ लोग जो पानी छानकर पीते हैं, . . . खून बिना छना पी जाते हैं ~ हरिशंकर परसाई
पुरुष रोता नहीं है पर जब वो रोता है, रोम-रोम से रोता है। . . उसकी व्यथा पत्थर में दरार…
धर्म चालाक आदमी का शोषण का हथियार है और भोले आदमी के लिए भाग्यवाद की अफीम . धर्म पर कब्ज़ा…
मूर्खता से पैदा हुआ आत्मविश्वास . . . सबसे बड़ा होता है! - हरिशंकर परसाई
भगवान पांच लड़कियों के बाद . . लड़का देकर अपने होने का सबूत देता रहता है। ~ हरिशंकर परसाई
जिन्हें पसीना सिर्फ़ गर्मी और भय से आता है, . . वे श्रम के पसीने से बहुत डरते हैं! -…