स्त्री चाहती है.. पुरुष उसको पढ़े । पुरुष चाहता है.. स्त्री उसको सुने । दोनों ही एक दूसरे को.. ना…
पिताजी गणित हैं,कठिन, समझ में नहीं आतेलेकिन सत्य भी वही हैं। और माँ?माँ, प्रेम है, साहित्य है। माँ, एक कहानी…
जली को "आग" कहते है, बुझी को राख कहते है जिस बात को सुनकर चप्पल हाथ में आ जाये उसे"मन…
"मै एक मज़दूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।" #प्रेमचंद
जिन्हें पसीना सिर्फ़ गर्मी और भय से आता है, . . वे श्रम के पसीने से बहुत डरते हैं! -…
भारतीय माता पिता सीधे माना नहीं करते हैं.. वो तो बस इतना कहते हैं... . . " हम कौन होते…
यदि कोई तुम्हे नज़र अंदाज़ करे तो बुरा मत मानना क्योंकि . . . इंसान अक्सर महंगी चीजो को नज़र…