गिरने वाले उस मकान में भी एक सलीक़ा था . . . तुम ईंटों कि बात करते हो , मिट्टी…
बेज़ान आईने का दखल ग़वाऱा नही मुझे मैं केवल खुद को तेरी आँखों में देखना चाहती हुँ 💞😘 💞 👉💞…
मेरी शायरियों का बस इतना उसूल है . . . तुम वाह ! कहो तो मुकम्मल बर्ना सब फिजूल है…
अरे ओ गालिब सांवले रंग पर मत जा गालिब . . . मैंने दुध से ज्यादा चाय के दिवाने देखे…
न शोहरत की दरकार थी न तोहमत से बैर था उम्मीद इतना ही था की वो अपना था गैर न…
"सुन लेने से" कितने सारे सवाल सुलझ जाते हैं, "सुना देने से" हम फिर से वही उलझ जाते हैं!
फूल जैसे मख़मली तलवों में छाले कर दिए, गोरे सूरज ने हज़ारों जिस्म काले कर दिए। ~राहत इंदौरी
घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए ~अज़हर इक़बाल
अपनी मुट्ठी में छुपा कर किसी जुगनू की तरह हम तेरे नाम को चुपके से पढ़ा करते हैं ~अलीना इतरत
खूबसूरती न सूरत में है… न लिबास में है… निगाहें जिसे चाहे… उसे हसीन कर दें…