घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए ~अज़हर इक़बाल
जहा दूसरे को समझाना मुश्किल हो जाये, . . . वहा खुद को समझा लेना बहतर होता है…..
फासलों का एहसास तब हुआ.. जब मैंने कहा हम ठीक हैं… . . . और उन्होंने मान लिया.!!
थोडा इंतजार कर ए दिल, . . . . उसे भी पता चल जाएगा की उसने खोया क्या है…
कैसे भूलेगी वो मेरी बरसोंकी चाहत को… . . . . दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी…
लौट आती है हर बार मेरी दुआ खाली, जाने कितनी ऊँचाई पर खुदा रहता है।
पूछा किसीने की याद आती है उसकी, मैंने मुस्कुराकर कहा की तभी तो ज़िंदा हूँ !!
नए जख्म के लिए तैयार हो जा ए दिल! कुछ लोग प्यार से पेश आ रहे हैं…!!