कितने ही दिल तोड़ती है ये "फरवरी" … यूंही नही बनाने वाले ने इसके दिन घटाये होंगे..!
हज़ार इश्क़ करो लेकिन इतना ध्यान रहे.... . . . . के तुमको पहली मोहब्बत की बददुआ ना लगे...
बदल जाऊं तो मेरा नाम वक्त रखना, थम जाऊं तो हालात, . . छलक जाऊं तो मुझे जज्बात कहना.. महसूस…
मिलने की तरह वो मुझसे पल भर नही मिलता दिल भी मिला तो उस से मिला जिस से मुकद्दर नही…
वास्ता हुस्न से या शिद्दत ए जज्बात से क्या इश्क को तेरे कबीले या मेरी जात से क्या प्यास देखूं…
कुछ रस्में मोहोब्बत में ऐसे भी निभाई हमनें पूछा जब कभी "कैसी हो? " . . . कहा "अच्छी" हमने…
ना खूबसूरत… ना अमीर… ना शातिर बनाया था. . . मेरे खुदा ने तो मुझे तेरे खातिर बनाया था..😐
उसकी आँखें गुलज़ार साहब की नज़्म हो जैसे... उसकी बातें जैसे क़ैफ़ी आज़मी की 'तेरी ख़ुशबू में बसे ख़त'...
खूबसूरत जिस्म हो या मुसल्लम ईमान.., बेचने की ठान लो तो हर तरफ बाजार है..!!
तीन ही तो शौक़ हैं मेरे... शाम की चाय, शायरी और तुम....! ☕😊 😊☕