मैं जब भी टूटता हूँ, तो तुझे ढूंढता हूँ • • तु हमेशा कहती थी ना, कि हम एक है..!!
ए नसीब ज़रा एक बात तो बता… . . . तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है!
Kabhi kabhi kitni baatein Karni hoti hai, Lekin koi sunne wala hi Nahi hota.
Jin logon ke dil achhe hote Hai na Unki kismat kharab Hoti hai!
Haal to sabhi puchte hai Bas ek wahi nhi puchta Jise batana hota hai.
धागा भी दरख़्त पर बांध कर देखा.... . . . सुख गया दरख़्त मगर वो मेरा न हुआ..
एक बक्त ऐसा भी आता है.. जब सब कुछ अच्छा होने के बाद भी...... मुस्कराने को दिल नहीं करता.... .…
खुशी के माहौल में भी मेरा लिखा पढ़कर रो पड़ो . . . . तो समझ लेना कि मैं अब…
ना चाहते हुए भी छोड़ना पड़ता है ... . . . . कुछ मजबूरियां , मोहब्बत से भी गहरी होती…