घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए ~अज़हर इक़बाल
अपनी मुट्ठी में छुपा कर किसी जुगनू की तरह हम तेरे नाम को चुपके से पढ़ा करते हैं ~अलीना इतरत
उसकी आँखें गुलज़ार साहब की नज़्म हो जैसे... उसकी बातें जैसे क़ैफ़ी आज़मी की 'तेरी ख़ुशबू में बसे ख़त'...
सीधा साधा भोला भाला तेरे लिए मै ही सबसे अच्छा हूँ , कितना भी हो जाऊ बड़ा माँ मै आज…
कैसे भूलेगी वो मेरी बरसोंकी चाहत को… . . . . दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी…
काश तुम पूछो की मुझसे क्या चाहिये, मैं पकडू बस तेरा हाथ और कहूँ सिर्फ तेरा साथ चाहिये…
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा तुम्हे, जितना मैंने सिर्फ…… सोचा है तुम्हे
अजीब खेल है ये मोहब्बत का . . किसी को हम न मिले, कोई हमें ना मिला!
अगर है किसी मे टूटने की हिम्मत है... तो मुबारक हो..इश्क़ कर लीजिये.. #बज़्म