ख़ुशी कहा हम तो “गम” चाहते है, ख़ुशी उन्हे दे दो जिन्हें “हम” चाहते है
वो मुझसे दूर रहकर खुश है, और मैं उसे खुश देखने के लिए दूर हूँ…
मुझसे जो भी नफरत करते है सुकून से करे . . . मैं भी हर शख्स को मोहब्बत के काबिल…
इश्क़ का तो ऐसा हिसाब है कि . . . बंद हो चुका नंबर भी डिलीट करने को दिल नहीं…
बाहर जाकर सेल्फी लेना मजबूरी हो गया है खुश दिखना, खुश रहने से जरूरी हो गया है,
मेरी ख़ूबीयो पर तो….. यहाँ सब खामोश रहते हैं .. चर्चा मेरे बुराई पे हो तो… गूँगे भी बोल पड़ते…
बहुत पाक रिश्ते होते है नफरतों के, कपड़े अक्सर मोहब्बत में ही उतरते हैं…