रहने दे कुछ बाते..... यूँ ही अनकही सी.. . . . कुछ जवाब तेरी-मेरी … ख़ामोशी में अटके ही अच्छे…
थोडा इंतजार कर ए दिल, . . . . उसे भी पता चल जाएगा की उसने खोया क्या है…
कैसे भूलेगी वो मेरी बरसोंकी चाहत को… . . . . दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी…
झुका हूँ तो कभी सिर्फ अपनों के लिए . . . और लोग इसे मेरी मज़बूरी समझ बैठे
लौट आती है हर बार मेरी दुआ खाली, जाने कितनी ऊँचाई पर खुदा रहता है।
पूछा किसीने की याद आती है उसकी, मैंने मुस्कुराकर कहा की तभी तो ज़िंदा हूँ !!
नए जख्म के लिए तैयार हो जा ए दिल! कुछ लोग प्यार से पेश आ रहे हैं…!!
कौन कहता है की दिल.. सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है, तेरी ख़ामोशी भी कभी कभी.. आँखें नम कर देती…