मोहब्बत भी उधार कि तरह होती है …. “साहब” लोग ले तो लेते है .. मगर देना भूल जाते है.
अजीब खेल है ये मोहब्बत का . . किसी को हम न मिले, कोई हमें ना मिला!
बहुत तब्दीलियाँ आई हैं मुझमे बस तुझे याद करने की वो आदत नहीं गयी💕....!!!
तेरे लहजे में लाख मिठास सही मगर, मुझे जहर लगता है तेरा औरों से बात करना….
वाकई पत्थर दिल ही होते हैं शायर…!! वर्ना अपनी आह पर वाह सुनना कोई मज़ाक नहीं…!!
रोज़ रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुए, अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी, बुझ कर भी राख़ न हुए…
नहीं मिला मुझे कोई तुम जैसा आज तलक, पर ये सितम अलग है कि मिले तुम भी नहीं..!