तलब में शुमार इस कदर दीदार उनका, सौ बार भी मिल जाये अधूरा लगता है।
शौक था कभी पढ़ने का उन्हें जिन्हे पढ़ कर सभी छोड़ दिया करते थे आज छोड़ रहे है वो मेहताब…
कुछ शब्द हो तो देना राह गुजरते राहगीर शब्द ए आईने की खिदमत "उसे" करनी है
दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था| तुम्हारे घर का सफ़र इस क़दर सख्त न था। इतने मसरूफ़…
इंतजार भी उसका जिसे आना ही नहीं है.... प्यार भी उस से ... जिसको कभी पाना ही नहीं है..!!😊
तुझे गुस्सा दिलाना भी एक साजिश हैं !!! तेरा रुठ कर मुझ पर यूँ हक जताना प्यार सा लगता हैं…
खुद को खुद की खबर न लगे कोई अच्छा भी इस कदर न लगे…. आपको देखा है उस नजर से…
सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से.. या तो दोनों आते हैं .. या कोई नहीं…
उसके प्यार में, हुनर आ गया है वकीलों सा……. मेरे प्यार को वो,तारीख पर तारीख दिये जा रहा है !!
फिर नींद से जाग कर आस-पास ढ़ूढ़ता हूँ तुम्हें… क्यूँ ख्वाब मे इतने पास आ जाती हो तुम….