“कभी हमसे भी पूछ लिया करो हाल-ए-दिल, कभी हम भी तो कह सकें दुआ है आपकी”
फूंक मारकर हम दिए को बुझा सकते है पर अगरबत्ती को नहीं, क्योंकि जो महकता है उसे कौन बुझा सकता…
सलीका नक़ाब का भी तुमने अजब कर रखा है। जो आँखे हैं क़ातिल, उन्हीं को खुला छोड़ रखा है।।
हिचकियाँ आना तो चाह रही हैं, पर 'हिच-किचा' रही हैं... कौन शरमा रहा है आज यूँ हमें फुरसत में याद…
कल मिले आज याद नहीं शायद थी उन्हें तब फुर्सत जब रुके मोड़ पे उनके हिसाब से नहीं
काश दिलों की भी तलाशी संभव होती... पता तो चलता किस के दिल मे कितने लोग आबाद है...
मीठा झूठ ' बोलने से अच्छा है ' कड़वा सच ' बोला जाए इससे आपको ' सच्चे दुश्मन ' जरूर…
मासूमियत का इससे पवित्र प्रमाण कहीं देखा है ???? एक बच्चे को उसकी माँ मार रही थी और बचाने के…
उम्र और ओहदे में,कौन कितना बड़ा है फर्क नहीं पड़ता,लहजे में कौन कितना झुकता है फर्क ये पड़ता है
जीवन का असली आनंद तो नादान ही लेता है, समझदार तो हमेशा समझदारी में ही उलझा रहता है