दिल खुद ढूंढ लेता है तेरी बेरुखी के बहाने। तुम्हे अपनी सफाई में कुछ कहने की जरूरत नही।।
मेरी मुहब्बत की हकीकत... तुम क्या जानो सर झुकाया... तो तुम्हें मागां हाथ उठाया तो तुझे माँगा
दर्द भी वही देते हैं जिन्हे हक दिया जाता हो वर्ना गैर तो धक्का लगने पर भी माफी माँग लिया…
याददाश्त का कमजोर होना बुरी बात नहीं है बड़े बेचैन रहते है वो लोग जिन्हें हर बात याद रहती है
जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये, जुल्म भी सहा हमने, और जालिम भी कहलाये गये!!
जब भी खोला है ये माज़ी का दरीचा मैं ने कोई तस्वीर ख़यालों में नज़र आती है ~फ़रह इक़बाल
कुछ गम, कुछ ठोकरें, कुछ चीखें उधार देती है। कभी-कभी जिंदगी, मौत आने के पहले ही मार देती है।।
कोई प्यार से जरा सी फुंक मार दे तो बुझ जाऊं.....!! नफरत से तो तुफान भी हार गए मुझे बुझाने…
बहुत रोयी वो उस शख़्स के जाने से इश्क़ रहा होगा, यूं ही कोई जज़्बाती नहीं होता