रोज़ रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुए, अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी, बुझ कर भी राख़ न हुए…
नहीं मिला मुझे कोई तुम जैसा आज तलक, पर ये सितम अलग है कि मिले तुम भी नहीं..!
साँसों का टूट जाना तो बहुत छोटी सी बात है दोस्तो, जब अपने याद करना छोड़ दे, मौत तो उसे…
न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई., न वो वापस लौटीं, न मोहब्बत दोबारा हुई..
तुमने तो फिर भी सीख लिए दुनिया के चाल चलन… हम तो कुछ भी ना कर सके बस मुहब्बत के…
अब नज़र से जिस्म छिल जाने का ख़ौफ़ है, आजकल पोशाकों में अस्तर नहीं मिलते...! #Shayari
बढ़ रही हैं तुमसे दूरियाँ... आ बैठ गलत फमहियाँ मिटाते हैं...
जिन्दगी का अजीब किस्सा है अजनबी हाल पूछ रहे हैं और अपनों को खबर तक नहीं
मजबूत हैं मगर फिर भी टूट जाते हैं... अपनों का अजनबी लहजा बहुत तकलीफ देता है...!! #Shayari