साल शुरू होता है जनवरी से, . .दिलों के रिश्तें बनते है फरवरी से.
इश्क़ में कोई होगा कैद, तो इश्क़ से कोई होगा बरीआ गयी है यारों दिल जोड़ने और तोड़ने वाली फरवरी.
कितने ही दिल तोड़ती है ये "फरवरी" … यूंही नही बनाने वाले ने इसके दिन घटाये होंगे..!
माह - ए- इश्क़ फ़रवरी आ गई है, अब कलमों के मिजाज़ भी बदलेंगे और दिलों के भी……
मुस्कान को तभी रोको जब वो किसी को चोट पहुंचा रही होवरना …..खिल खिलाकर हसने दो
स्त्री चाहती है.. पुरुष उसको पढ़े । पुरुष चाहता है.. स्त्री उसको सुने । दोनों ही एक दूसरे को.. ना…
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देनायक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है ~…
ज़रूरी नहीं की जो लड़कियां sad शायरी करती हैं वो " बीमार ए इश्क " हों मेरी तरह घर वालों…