शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं मुस्कुरा देते हैं बच्चे . . . और मर जाता…
तन की हवस मन को गुनहगार बना देती है बाग के बाग़ को बीमार बना देती है भूखे पेटों को…
मैं रुई पर एक कविता लिखूँगा और उसे तेल में डुबाकर दिया में सजाऊँगा फिर संसार के सबसे ऊंचे पर्वत…
तमाम प्रेम कविताओं और तरल सम्वेदनाओं के बावजूद नहीं पकड़ पाए वो रंग जिसमें डूब एक अबोध बालक बिल्ली के…
दूध को गैस पर 2 मिनट छोड़ने के बाद दूध भी नसीहत देने लगता है . . . मुझे छोड़कर…
अब वक्त से शिकायतें मत रखिये न कि वह सही नहीं चल रहा,''हम बात नहीं कर पा रहे,तुम्हारी बकवास नहीं…
चाह नही मैं ब्रांडेड होकर अपने जीवन पर इतराऊँ चाह नही मैं विश्व सुंदरी के , पग में पहना जाऊँ…
पहले दुकानों पर लिखा होता था, "ग्राहक भगवान है" तब देवताओ जैसी फीलिंग आया करती थी। अब लिखा होता है,…
डकार मारने की Process के साथ साथ भगवान का नाम लेने की अद्भुत कला . . . . सिर्फ भारतीय…
हँसते रहिये, मुस्कुराते रहिये, ये चेहरे पर उदासी कैसी, जो पसंद आएँ उसे छिन लो, जमाने की ऐसी की तैसी..!!…