श्रम का पसीने

जिन्हें पसीना सिर्फ़ गर्मी और भय से आता है, . . वे श्रम के पसीने से बहुत डरते हैं! - हरिशंकर परसाई

4 years ago

आदमी क्‍या चूहे से भी बद्तर हो गया है

"आदमी क्‍या चूहे से भी बद्तर हो गया है? चूहा तो अपनी रोटी के हक के लिए मेरे सिर पर चढ़ जाता है, मेरी नींद हराम कर देता है" ~ हरिशंकर परसाई (“चूहा और मै”)

4 years ago

अर्थशास्त्र जब धर्मशास्त्र के ऊपर चढ़ बैठता है

"अर्थशास्त्र जब धर्मशास्त्र के ऊपर चढ़ बैठता है तब . . गोरक्षा आन्दोलन के नेता जूतों की दुकान खोल लेते हैं।" ~ हरिशंकर परसाई

4 years ago

इस देश के बुद्धिजीवी शेर हैं

"इस देश के बुद्धिजीवी शेर हैं, . . पर वे सियारों की बरात में बैंड बजाते हैं।" 😅 ~ हरिशंकर परसाई

4 years ago

झूठ बोलने की सुरक्षित जगह

झूठ बोलने के लिए सबसे सुरक्षित जगह . . . अदालत है। ~हरिशंकर परसाई

4 years ago

चश्मदीद गवाह

चश्मदीद गवाह वो नहीं है जो देखे बल्कि वो है . . जो कहे कि मैंने देखा... ~हरिशंकर परसाई

4 years ago

सच्चा मित्र

संकट में तो शत्रु भी मदद कर देते हैं। मित्रता की सच्ची परीक्षा संकट में नहीं, उत्कर्ष में होती है। . . जो मित्र के उत्कर्ष को बर्दाश्त कर सके, वही सच्चा मित्र होता है। ~ हरिशंकर परसाई

4 years ago

अंधेरे का डर

चाहे कोई दार्शनिक बने साधु बने या मौलाना बने, अगर वो लोगों को अंधेरे का डर दिखाता है, . . तो ज़रूर वो अपनी कंपनी का टॉर्च बेचना चाहता है। ~ हरिशंकर परसाई

4 years ago

तारीफ़ करके आदमी से

तारीफ़ करके आदमी से . . . कोई भी बेवकूफ़ी कराई जा सकती है! ~ हरिशंकर परसाई

4 years ago

देश का निर्माण

देश की आधी ताकत लड़कियों की शादी करने में जा रही है। पाव ताकत छिपाने में जा रही है, शराब पीकर छिपाने में, प्रेम करके छिपाने में, घूस लेकर छिपाने में, बची पाव ताकत से देश का निर्माण हो रहा है - तो जितना हो रहा है, बहुत हो रहा है। आख़िर एक चौथाई ताकत से कितना होगा। ~ हरिशंकर परसाई

4 years ago