जिन्हें पसीना सिर्फ़ गर्मी और भय से आता है, . . वे श्रम के पसीने से बहुत डरते हैं! - हरिशंकर परसाई
"आदमी क्या चूहे से भी बद्तर हो गया है? चूहा तो अपनी रोटी के हक के लिए मेरे सिर पर चढ़ जाता है, मेरी नींद हराम कर देता है" ~ हरिशंकर परसाई (“चूहा और मै”)
"अर्थशास्त्र जब धर्मशास्त्र के ऊपर चढ़ बैठता है तब . . गोरक्षा आन्दोलन के नेता जूतों की दुकान खोल लेते हैं।" ~ हरिशंकर परसाई
"इस देश के बुद्धिजीवी शेर हैं, . . पर वे सियारों की बरात में बैंड बजाते हैं।" 😅 ~ हरिशंकर परसाई
झूठ बोलने के लिए सबसे सुरक्षित जगह . . . अदालत है। ~हरिशंकर परसाई
चश्मदीद गवाह वो नहीं है जो देखे बल्कि वो है . . जो कहे कि मैंने देखा... ~हरिशंकर परसाई
संकट में तो शत्रु भी मदद कर देते हैं। मित्रता की सच्ची परीक्षा संकट में नहीं, उत्कर्ष में होती है। . . जो मित्र के उत्कर्ष को बर्दाश्त कर सके, वही सच्चा मित्र होता है। ~ हरिशंकर परसाई
चाहे कोई दार्शनिक बने साधु बने या मौलाना बने, अगर वो लोगों को अंधेरे का डर दिखाता है, . . तो ज़रूर वो अपनी कंपनी का टॉर्च बेचना चाहता है। ~ हरिशंकर परसाई
तारीफ़ करके आदमी से . . . कोई भी बेवकूफ़ी कराई जा सकती है! ~ हरिशंकर परसाई
देश की आधी ताकत लड़कियों की शादी करने में जा रही है। पाव ताकत छिपाने में जा रही है, शराब पीकर छिपाने में, प्रेम करके छिपाने में, घूस लेकर छिपाने में, बची पाव ताकत से देश का निर्माण हो रहा है - तो जितना हो रहा है, बहुत हो रहा है। आख़िर एक चौथाई ताकत से कितना होगा। ~ हरिशंकर परसाई