चापलूस और आलोचक मे केवल इतना अन्तर है कि चापलूस अच्छा बनकर बुरा करता है . . . और आलोचक बुरा बनकर अच्छा करता है
सिर्फ झूठ को अच्छे लहजे की जरूरत है, सच तो हर लहजे में कड़वा ही होता है।
कुछ लोग जो पानी छानकर पीते हैं, . . . खून बिना छना पी जाते हैं ~ हरिशंकर परसाई
पुरुष रोता नहीं है पर जब वो रोता है, रोम-रोम से रोता है। . . उसकी व्यथा पत्थर में दरार कर सकती है ~ हरिशंकर परसाई
धर्म चालाक आदमी का शोषण का हथियार है और भोले आदमी के लिए भाग्यवाद की अफीम . धर्म पर कब्ज़ा वह वर्ग कर लेता है जिसके अधिकार में उत्पादन के साधन होते हैं ~ हरिशंकर परसाई
मूर्खता से पैदा हुआ आत्मविश्वास . . . सबसे बड़ा होता है! - हरिशंकर परसाई
भगवान पांच लड़कियों के बाद . . लड़का देकर अपने होने का सबूत देता रहता है। ~ हरिशंकर परसाई