बात वो कहिए कि जिस बात के सौ पहलू हों, कोई पहलू तो रहे बात बदलने के लिए।
मोहब्बत वो जज्बा है जिसमें हारा नहीं जाता । दफन होकर भी आशिकी को बिसारा नहीं जाता
सुनो... तुम्हारी याद भी इस दिसम्बर में, गुनगुनी धुप सा मजा देती है...
तुम्हारे बाद ग़ुज़रे हैं भला कैसे हमारे दिन, नवम्बर से बचे हैं तो दिसम्बर ने मार डाला...
ये सर्द हवाएँ,बिखरे पत्ते और तन्हाई, ऐ दिसम्बर तू सब कुछ ले आया है सिवाय उसके...
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए ~फ़ना निज़ामी कानपुरी
महके-महके से रहते हैं खुश्बू से तेरी तुम बन के इत्र बिखर गये हो मुझमें कहीं.!!
जब भी खोला है ये माज़ी का दरीचा मैं ने कोई तस्वीर ख़यालों में नज़र आती है ~फ़रह इक़बाल