बुरा कैसे बन गया साहब… दर्द लिखता हुँ . . . किसी को देता तो नही…
वाकई पत्थर दिल ही होते हैं शायर…!! वर्ना अपनी आह पर वाह सुनना कोई मज़ाक नहीं…!!