एक ख़ूबसूरत पेड़ जिसपे खिले थे लाल मखमली खूबसूरत फूल इसे देख अचानक ठहर गयी नज़र क्योंकि नहीं थी उसपे…
अक्टूबर बिछड़ने का महीना है, शाख़ से पत्ते अलग हुए जा रहे हैं, हवाओं के दिल भी भारी हो रखे…
फासला रखिये नहीं तो मोहब्बत हो जायेगी . . . फिर किसी की अम्मा नही मानेगी ... किसी के अब्बा…
धागा भी दरख़्त पर बांध कर देखा.... . . . सुख गया दरख़्त मगर वो मेरा न हुआ..
गलतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही, दोनों इंसान हैं, खुदा तू भी नही, मैं भी नहीं तू…
एक बक्त ऐसा भी आता है.. जब सब कुछ अच्छा होने के बाद भी...... मुस्कराने को दिल नहीं करता.... .…
काश मर जाये वो मजबूरियाँ, . . . . . . जिनकी वजह से तुम मुझसे दूर हो !! 😐☹️☹️☹️
इश्क में रूठना एक अदा है, पर रूठकर दूरी बनाना.... एक इशारा, किसी से रूठ कर आप उनसे दूरी बनाते…
जाने दीजिए साहिब... मेरी मोहब्बत तुम्हारी समझ ना आएगी,,, जिसने रुलाया है... उसको गले से लगाकर रोने को जी चाहता…
कुछ लोग अपनें लम्हें सँवारने के लिए . . . . दूसरों की सदियाँ वीरान कर देते हैं