तू रंज न कर मैं तुझसे नही खुद से रुठा हूँ.. मैं वो फल हूँ जो अपनो के पत्थर से…
एक पत्थर की भी तक़दीर सँवर सकती है शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए ..