सब कुछ हासिल नही होता ज़िंदगी मे यहाँ किसी का "काश" तो किसी का अगर रह ही जाता है ....
"नाराज़गी" भी एक खूबसूरत रिश्ता है, जिससे होती हैं वह व्यक्ति दिल और दिमाग, दोनों में रहता है
जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता उसी को क्रोध अधिक आता है
कचरे में पड़ी रोटियाँ रोज यह कहती है की पेट भरते ही इंसान अपनी औकात भुल जाता हैं
"सुलझा हुआ इंसान वह है जो अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेता है, और उन निर्णयों के परिणाम के लिए…
"व्यक्तित्व" की भी अपनी वाणी होती है जो "कलम"' या "जीभ" के इस्तेमाल के बिना भी, लोगों के "अंर्तमन" को…
🌹जो परिवर्तन हम देखना चाहते हैं उसकी शुरुआत स्वयं से क्यों न करें....🌹
याद कर लेना मुझे तुम कोई भी जब पास न हो चले आएंगे इक आवाज़ में भले हम ख़ास न…