स्कूल का वो बस्ता मुझे फिर से थमा दे माँ, . . . . ये ज़िन्दगी का सफर मुझे बड़ा…
कमा के इतनी दौलत भी मैं अपनी माँ को दे ना पाया, . . . . के जितने सिक्कों से…
तेरी डिब्बे की वो दो रोटिया कही बिकती नहीं, माँ, महँगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं माँ …!!
दिन भर के काम के बाद ..... पापा ने पूछा कितना कमाया .. बेटे ने पूछा क्या लाया .. बीवी…
जब एक रोटी के चार टुकड़े हों और खाने वाले पाँच, . . . तब मुझे भूख नहीं है ऐसा…