किसी से बस उतना ही दूर होना की उसे आपकी अहमियत का एहसास हो जाए इतना भी दूर ना हो…
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए ~फ़ना निज़ामी कानपुरी
ला रहे हैं नींद के #आग़ोश में अश्क़ मुझको थपकियां देते हुए... नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ…
इतने भी प्यारे नही हो तुम बस मेरी चाहत ने तुम्हे सर पर चढ़ा रखा है।
भूले नहीं हम उसे...... और भूलेगें भी नहीं, बस नज़र अंदाज करेंगे उसे उसी की तरह
याद कर लेना मुझे तुम कोई भी जब पास न हो चले आएंगे इक आवाज़ में भले हम ख़ास न…
"इश्क" आता तो दबें पाव है "शोर" तो उसके "टूटने" पर होता है❤️....