मेरी तक़दीर में एक भी गम ना होता, अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता..!!
स्कूल का वो बस्ता मुझे फिर से थमा दे माँ, . . . . ये ज़िन्दगी का सफर मुझे बड़ा…
कमा के इतनी दौलत भी मैं अपनी माँ को दे ना पाया, . . . . के जितने सिक्कों से…
तेरी डिब्बे की वो दो रोटिया कही बिकती नहीं, माँ, महँगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं माँ …!!
दिन भर के काम के बाद ..... पापा ने पूछा कितना कमाया .. बेटे ने पूछा क्या लाया .. बीवी…
जब एक रोटी के चार टुकड़े हों और खाने वाले पाँच, . . . तब मुझे भूख नहीं है ऐसा…
माना थक कर आँखे उसकी बंद होती हैं , पर माँ सोती भी हैं, तो फिक्रमंद होती हैं।
मैं ही नहीं, बड़े बड़े सूरमा भी याद करते हैं… ‘दर्द’ जब हद से ज्याद होता है तो, सब “माँ”…
♥MAA♥ na hogi to wafa kon krega, Mamta ka haq ada kon krega, Ya RAB her ek ki Maa ko…