बुरा कैसे बन गया साहब… दर्द लिखता हुँ . . . किसी को देता तो नही…
दर्द भी वही देते हैं जिन्हे हक दिया जाता हो वर्ना गैर तो धक्का लगने पर भी माफी माँग लिया…