माह - ए- इश्क़ फ़रवरी आ गई है, अब कलमों के मिजाज़ भी बदलेंगे और दिलों के भी……
स्त्री चाहती है.. पुरुष उसको पढ़े । पुरुष चाहता है.. स्त्री उसको सुने । दोनों ही एक दूसरे को.. ना…
एक आख़िरी मुलाक़ात को बुलाया था उसने मैं नहीं गया, यूँ न जाकर मैंने बचाये रखी एक आख़िरी मुलाक़ात ~…
रात को मैंने उससे पूछा कि तुम्हें नींद ज्यादा पसंद है या मैं.... . . . सुबह 10 बजे उसका…
मेरे हाथ अक्सर एक हाथ तलाशा करते है, तुझसे गुजरे है, तेरा साथ तलाशा करते है गालियां, वो सड़के, इश्क़…
मैं तुम्हारा नाम पुकारूँ तुम महक-महक जाओ मैं बनाऊं एक कविता तुम कलाम की स्याही बन जाओ -नेहा नूपुर