#बारिश का मौसम है.. किस-किस को #याद कीजिए.. किस-किस को #रोइए.. . . . #आराम बड़ी चीज़ है.. #पकौड़े खाइए…
तुम #मसरूफ़ हो तो.. #बारिश का कोई #हक़ नही... मेरे #शहर मे बरसने का .. मसरूफ़~व्यस्त
"इश्क़" को बस इस तरह बचा लिया करो . . . कभी मान जाया करो कभी मना लिया करो
मेरे घर की छत के ऊपर एक छोटी छत है, वहाँ का रास्ता एक कच्ची सीढ़ी से हो कर जाता…
बहुत किस्मत से मिलता है वो एक शख्स जो सच्चे दिल से प्यार निभाने वाला हो
#बारिश और #मोहब्बत दोनों ही यादगार होते हैं फर्क सिर्फ इतना होता है बारिश में #जिस्म भींगता है और #मोहब्बत…
कुछ ज़ख़्म ऐसे भी होंगे, जिन्हें वक़्त भर लेगा, . . . पर पहली नज़र के वार की बात ही…
न शोहरत की दरकार थी न तोहमत से बैर था उम्मीद इतना ही था की वो अपना था गैर न…
फिर वही शाम,फिर वही चाय.. फिर वहीं तेरी,याद का आना.. फिर वही बेचैनी,फिर वहीं तलब.. फिर वही हर घुट में,तुझे…
Dear #Soulmate लाजमी तो नहीं, मुझे हर वक़्त याद करो... बिल्कुल ही भूल जाओ, ये तो जुल्म है ना...!!!